रंग_राजस्थानी. हरि-रस
हुआ असुराँण तणा हलकार,पुणै जमदग्न मुखंत पुकार।
आयौ तिहि वार फरस्सउ धार,सहस्सरबाहुव सेन सँघार।।32।।
कवि अर्थावे
हे ईश्वर ! असुरों के आक्रमण करने पर जब यमदग्नि ने आपको पुकारा , आपने तब परशु धारण कर सेना सहित सहस्त्रबाहु का संहार कर दिया था ।
-प्रस्तुति सवाई सिंह महिया
ईसरा परमेसरा !!!
ReplyDeleteआभार टाक साहब..... घणां घणां रंग आपने...