रंग_राजस्थानी हरि-रस---छंद
मोतीदाम
सुतो वङ-पान
समाध समंद,माया स्रव सांवट बाल़मुकंद।
उपन्नाय दांणव
दोय अजीत,भजै स्रव देव हुआ भयभीत ।।18।।
विराट विश्व की
सब माया को समेट कर प्रलय - सIमुद्र के बीच वट
पत्र पर समाधि लगाकर आप बालक रूप में सो गये । उस समय मधु और कैटभ दो अजय दैत्य
देवताओं के साथ उत्पन्न किये जिनसे भयभीत होकर देवता लोग इधर-उधर भागने लगे ।
प्रस्तुति--सवाईसिंह
महिया
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