ईसरा-परमेसरा
हरि-रस------अवतार नामावली
जग अवतार नमो जगदीसर, अनत रूप धारण तन ईसर।
तविजै हरि अवतार तुहारा,सदगत लाहि छूटै संसारा |।15।।
यज्ञ का अवतार धारण करने वाले हे जगदीश्वर ! आपको नमस्कार है । आप अनंत रूप और शरीरों में अनंत अवतार धारण करने वाले हैं । जिसका वर्णन करने से संसार के बन्धनों से मुक्त होकर सद्गति की प्राप्ति होती है ।
प्रस्तुति------सवाईसिंह महिया
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