ईसरा-परमेसरा
माहरा करम मेटवा माधव, क्रम हों कथिस तुहारा केसव।
नांम तुहाल़ो हों घणनांमी, सासोसास संभारिस सांमी ।।11।।
कवि अर्थावे है क... हे असंख्य नामों वाले माधव ! मेरे कर्म बंधनों का नाश करने के लिए श्वास प्रति श्वास तेरा सुमिरण करता हुआ तेरे पावन चरित्रों का ( इस हरि रस ग्रंथ में ) , मैं वर्णन करूंगा ।
प्रस्तुति_____ सवाईसिंह महिया
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