ईसरा परमेसरा
नारायण ! हों तुझ नमां ,इअ कारण हरि ! अज्ज ।
जिअ दी ओ जग छंडणों ,तिअ दी तोसूं कज्ज ।।10।।
कवि अर्थावे.....
हे नारायण ! जिस दिन यह संसार छोङना है उस दिन आप ही से काम है । अतएव हे हरि ! आज ही से मैं आपकी आराधना प्रारम्भ कर देता हूँ ।
प्रस्तुति-----सवाईसिंह महिया
ईसरा परमेसरा
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