लागां हों पहला लल़ै ,पीतांबर गुरु पाय ।
भेद महारस भागवत ,पायो जेण पसाय ।।३।।
___ मैं सर्वप्रथम अपने गुरुदेव श्री पीताम्बरदास जी के चरण कमलों में झुक कर प्रणाम करता हूं , जिनकी कृपा से श्रीमदभागवत में वर्णित महान् रस के रहस्य को प्राप्त कर सका हूं ।
प्रस्तुति-----सवाईसिंह महिया
आभार टाक सा'ब....
ReplyDeleteहरिरस रो रसास्वादन सगल़ां सारु लावण रो आभार.....
ईश्वर री परमसत्ता आपने निरोगा राखै अर आप यूं ही...म्हां सगल़ां ने अमृतवाणी पढावता रेवो.....आभार.....