ईसरा सो परमेसरा
भगतवछल़ ! मो दे भगति ,भांज परा सह भ्रम्म ।
मुझ तणा क्रम मेटवा ,कथां तुहाल़ा क्रम्म ।।4।।
------ ईसरदास जी कहते हैं कि हे भक्तवत्सल ! मेरे समस्त संशय मिटाकर मुझे आपकी भक्ति का दान दीजिये , जिससे में अपने शुभ और अशुभ कर्मों का नाश करने के लिये आपके चरित्रों का वर्णन करूं।
प्रस्तुति-------सवाईसिंह महिया
जै ईसरदास जी.... ईसरा सो ही परमेसरा
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