सन्देसा खेती नीं हुवे।
बडेरा री केबत ही क सन्देसा खेती नीं हुवे।मेहनत अर श्रम साध्य काम खुद ने ही करणों पड़े। दूजां के भरोसे काम नीं हुवे। पेलां बडेरा खेती रौ काम करणने जावन्ता जणा केई पाड़ोसी भोलाय देता क म्हारी खेती ही देख लिज्यो।इयां भोलायोड़ी खेती मुश्किल ही हुवन्ती।
राजस्थानी में कहावत है........
ReplyDeleteनींद आळस करसा ने खावे ,
चोर ने ख़ावे खाँसी !
टक्को ब्याज मूळ ने ख़ावे ,
संत ने खावे दासी !!