करवा चौथ माथे चार लाइण रिड़मलदान चारण 'राज़'
व्याख्याता रीवड़ी जैसलमेर रै कांनीं सूं पाठकां वास्ते।
करसी कोड कामणी, लाभकर लखंत।
चौथ मनावण चोज सूँ, करवो लावो कंत।
इण अनूठी परम्परा माथै कवि आगे लिखे
चंद पूजस्यां चाव सूँ,खामंद मुख निखंत।
आवजो रात आजुणी,कामण कैवे कंत।
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