राजस्थानी सौरम
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Monday, 9 October 2017
राजिया रा सोरठा
चोर चुगल वाचाल,ज्यांरी मांनीजै नहीं।
संपड़ावे घसकाळ,रीती नाड्यां राजिया।।
कवि कहवे चोर, चुगल अर घणा बोलण वाळा गप्पी आदमी री बातां में नीं आवणो चाहिजै इयांनका लोग आपरी बातां सूं खाली नाड्यां में सिनान कराय देवे।
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