राजस्थानी सौरम
Pages
Home
contact us
Saturday, 7 October 2017
केबत
कैर को ठूंठ टूट ज्यावै, पण लूळे कोनी।
बडेरां री केबत है क उजड़ आदमी कैर रा ठूंठ री ज्यान ही हुवे जको नुकसाण सहन कर लेवै पण झुके कोनी अर कैर रो ठूंठ भी टूट जावै पण लूळे कोनी।
No comments:
Post a comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a comment