चंगा माडु घर रहया, तीनू ओगण होय।
कपड़ा फाटे रिण बधै, नांव न जाणे कोई।।
इण
दूहा में बडेरा सीख देवे क स्वस्थ अर निरोगो आदमी निकमो हुय अर घरां बैठ
जावे तो तीन अवगुण रौ दोष लागे। घरां बैठण सूं कपड़ा फाटे मतलब गरीबी
आवै,बैठो खावे जणा करजो बधै अर घरां बैठा री जाण पिछाण कम हुवे अर उणां रौ
कोई नांव ही कोनी जाणे।
जिका घरां में रह जम्यां रळग्या बे सै रेत
ReplyDeleteओळख गमा'र आपरी हाथां हरग्या हेत
जीवंट रहिया है जिका जग रा झूरै जीव
कामण करवा चौथ नै पूजै वै ई पीव