लाठी हुवै जका री भेंस
एक जाट टाबरां
रै धीणा वास्तै भेंस मोल लावण री सोची। आगती पागती गांवां में चौखी नस्ल
री भेंस नीं ही जणां कासा आंतरै गांवतरे गयौ अर दूजा गांव सूं घणो दूध देवण
वाळी दुधारू भेंस मोल लायौ। भेस लेय‘र घरां जावंती बेळयां रस्ता में केई
ठौड़ सून्याड़ ही। बो एकलो ही मारग मारग भेंस ने लियां जावै हो। एक
धाड़ायती एकला आदमी ने जावंतो देख’र मन में कुटळाई लायौ। धाड़ायती रस्ता
में सून्याड़ देख‘र जाट रो रस्तो रोक’र ऊब ग्यौ। उणां रा रौब ने देखतां ही
जाट समझग्यौ क इण रा हाव-भाव चौखा कोनी दिसै। धाड़ायती अबै जोर सूं कडक़
आवाज में बोल्यो क ऐ जीवंतो रहवणी चावै तो भेंस चुपचाप छोड़तो जा परौ। अर
रस्तो नाप नीं तो थारी तो कपाळ किरया म्हें अठै ही कर दूं ला। आ देख लाठी
देखी है क एकर में ही थारा माथा रा दो फाड़ हुय जावैला। आ सुण‘र भेंस रौ
मालक तो अचम्भा में पड़ग्यो क आ तो सरासर लूट हुय जावैला। नकदी रिपिया
चुकाय‘र लायोड़ी भेंस यूं हाथ सूं निकळ जावैला तो गांव वाळां ने कांई जवाब
देवांला। जाट बोल्यो क अरे भला मिनखां यूं कांई करौ। नीठ तो जुगाड़ कर अर
भेंस ल्यायाओ हूं। टाबर टोळी घरां दूध ने उडीकेला। धाड़ायती जोर सूं धकाल
करी अर बोल्यो‘क जीवंतो घर जावणी चावै तो भेंस छोड़’र चुपचाप व्हीर हुयजा।
हाथ आयोड़ो माल ने छोड़’र जावण री मूरखता करण वाळो म्हें नीं हूं। तूं तो
भेंस छोड़े क रडक़ाऊं दोयेक। जाट सोची क आज तो कोजा पजग्या। अठे तो कोई
बंचावण वाळो ही कोनी। हाथ में हथियार ही कोनी। एक लाठी हाथ में हुवंती तो
इण री कांई औकात क ओ बड़क़ा बोल बोल लेवै। भलां ही कीती ही ऊंतावळ हो लाठी
साथ लेवणी ही चाहिजै घरां नी छोडनी चाहिजै। लाठी मिल जावै पछै तो ओ कांई
भेंस उचकाय सकै। अब पछतायां कांई हुवै औसर तो हाथ सूं गयौ। अब तो कोई
चिमतकार ही भेंस अर म्हने बंचाय सकै। हे सांवरा के तो कोई जुगत कर अर के
बंचा इण सूं। बो सगळा देवी देवतां ने याद करया क सांवरो बचावण री कोई
जुगत करै, क इण धाड़ायती सूं बंच सकां। आ सोच‘र बो एकर फेरूं कोसिस करी क
कदास भेंस यूं ही हाथ सूं नीं जावै। धाड़ायती एक झटका म्हें ही भेंस री
रास पकड़ी अर बोल्यो क ले तूं आ लाठी ही ले जा परो कह दी जै क भेंस नाठगी।
जाट रै हाथ में लाठी आवंता ही जाणै हड़मानजी ही डील में आयग्या। मूंछयां रै
ताव देवंतो दूणी धकाल करी क ओ रै धाड़ायती कांई समझ राख्यौ। सूण ले भेंस
रै नेड़ो ही गयौ तो लाठी राती लाल हुय जावैला। धाड़ायती तो समझगौ क पासो
पलट ग्यौ। हाथ रौ हथियार ही हाथ सूं ही निकळग्यौ। धकाल सुणतां ही धाड़ायती
रा पग जांणै जमीं रै चिपग्या। अबै जाट आगे पग धरया अर धाड़ायती पाछला पगां
सिरक ग्यौ। बो समझग्यो क आज तो जीत्योड़ी बाजी हाथ सूं निकळगी। हथियार हाथ
सूं जावंता ही बाजी पलटगी। जाट पळपळाता मूण्डा सूं एक हाथ में लाठी पकडय़ां
व्हीर् हुयग्यौ। इण रै पछै ही केबत चाली की जका रै हाथ में लाठी हुवै भेंस
उणां री हुवै। बडेरा साची कही क संकट में हिमत नीं हार नीं नहीं अर कोसिस
करतो रहणो जिका री लाठी हुवै बीं री ही भेंस हुयां करै।
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