भाई राजेन्द्र जी फौजी राजस्थानी सौरम में
छप्या दोहा रो मूळ सरूप इयां लिख्या।
बांटयां तो बिद्या बधे छाप्यां बधे बाड़ ।
मीठा बोल्यां मन बधे, कड़वा बोल्यां राड़।।
आप रौ स्वागत करता निवेदन है क
राजस्थानी में लोक प्रचलित दोहां रौ रूप ठौड़-ठौड़ माथै बदळतो रहवै। आप रो दोहो भी
स्वीकार। सौरम सारू आप री रचना री उडीक।
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