श्रीगंगानगर। राजस्थानी कवि अर व्यंग्यकार शंकरसिंह
राजपुरोहित कहयो क अंतरराष्ट्रीय बाजारवाद री आंधी अर वैश्वीकरण रा तूफान
सूं दुनिया री सगळी मातृभाषावां रा अस्तित्व ने चुनौती मिली है। खत्म
हुवन्ती मातृभासावां ने बचाणो बहुत जरूरी है।
बे लारलै दिनां सृजन सेवा संस्थान री ओर सूं तनिष्क सभागार में "लेखक से मिलिए" कार्यक्रम में संबोधित करै हा।
राजपुरोहित
आपरी हाल ही छपयोडा राजस्थानी व्यंग्य संग्रह "म्रित्यु रासो" री एक रचना
"अथश्री जीमण कथा" रो वाचन भी कियो।उणा राजस्थानी गीत "करल्यो दुनिया
मुट्ठी में ओ बेचणियां रो नारो रै..." सुणायो। कार्यक्रम री विशिष्ट अतिथि
मारवाड़ी युवा मंच महिला प्रेरणा शाखा की अध्यक्ष मंजू गर्ग राजपुरोहित की
रचनाधर्मिता री सराहना करी अर राजस्थानी री मानता वास्ते हर संभव प्रयास अर
सहयोग रो आश्वासन दियो।
कार्यक्रम अध्यक्ष राजस्थान
प्रशासनिक सेवा सूं सेवानिवृत्त अधिकारी अर सृजन रा संरक्षक रमेशचंद्र
गुप्ता भी बोल्या। सृजन रा अध्यक्ष कृष्ण कुमार आशु राजपुरोहित रो परिचै
दियो। संचालन सचिव संदेश त्यागी कियो।
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