राजस्थानी सौरम
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Tuesday, 12 September 2017
बडेरां री सीख
समन पराए बाग में दाख तोड़ खर खात।
अपनों कछु न बिगड़ै असही सही न जात।।
असहनीय बात वास्तै कवि समन ओ दोहो लिख्यौ। कवि कहवै क पराया बाग में गधा ने दाखां खाता देखयां आपां रौ कीं कोनी बिगड़ै पण असहय बात सही कोनी जावै।
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