राजस्थानी सौरम
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Wednesday, 20 September 2017
उत्थलो राजस्थानी सूं हिन्दी
कागा,कुता, कुमाणसा, तीन्यां एक निकास।
ज्यां-ज्यां सेरयां निसरै, त्यां त्यां करै बिनास।।
कौवे कुते और दुर्जन तीनों एक समान होते हैं। ये जिस मार्ग से निकलते हैं विनाश करते हैं।
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