सीजन आई शादियां करै न जेब कह्योह।
लेय उधारा लाजवश बानां भरै रह्योह ।।
हालत वित्त बिन यूं हुई ज्यूं जल बिन व्है मीन।
देखी नहीं म्है दोस्तां तनखा महीना तीन।।
अफसर हुवा ऊंघायला बाबू भी बदनीत।
ब्लाक मूण्डवा मांयनै गावौ बैठा गीत।।
-महेंद्र सिंह खिड़िया ढाढरिया खुर्द
achha lagaa!
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